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Paropkar par Nibandh
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Paropkar par Nibandh 50 words
परोपकार शब्द 2 शब्दों से मिलकर बना होता है ‘पर और उपकार’ जिसका अर्थ है दूसरों पर किया जाने वाला उपकार. ऐसा उपकार जिसमें कोई अपना स्वार्थ न हो उसे परोपकार कहते हैं.परोपकार को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है. जब किसी व्यक्ति के अन्दर करुणा का भाव होता है तो वो परोपकारी ही होता है.
Paropkar par Nibandh 100 words
परोपकार एक ऐसा शब्द है जिसका अर्थ शायद ही कोई न जानता हो, यह एक ऐसी भावना है. जिसका विकास बचपन से ही किया जाना चाहिए.हम सबने कभी न कभी किसी की मदद जरुर की होगी और उसके बाद हमे बड़ा गर्व का अनुभव हुआ होगा, बस इसी को परोपकार कहते हैं. परोपकार के कई रूप हैं, चाहे यह आप किसी मनुष्य के लिये करें या किसी जीव के लिए परोपकार की यह शिक्षा हमें प्रकृति से मिली है.
Paropkar par Nibandh 150 words
परोपकारी मानव के हृदय में शांति तथा सुख का निवास होता है. जिसमें उदारता की भावना पनपती है संतों का हृदय नवनीत के समान होता है. उनमें किसी के प्रति द्वेष तथा ईर्ष्या नहीं होती है. और उनका मन बिल्कुल साफ होता है. परोपकारी स्वयं के विषय में चिंतन ना होकर दूसरों के सुख दुख के बारे में सोचते हैं और वह दूसरों के सुख दुख को भी अपना सुख दुख समझते हैं. और वह दूसरों को अपना परिवार समझते हैं.परोपकार की ह्रदय में कटुता की भावना नहीं होती है और वह किसी के साथ हीन भावना नहीं करते हैं.समस्त पृथ्वी के लोग ही उनका परिवार समझते है. हमारी पृथ्वी पर जन्मे ऐसे बहुत से महापुरुष है जिन्होंने दूसरों के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान की है. जैसे कि गुरु नानक, शिव, ईसा मसीह, इन्होंने हमेशा दूसरों के बारे में मैं भी सोचा है. यह पहले हमेशा दूसरों के बारे में सोचते हैं.
Paropkar par Nibandh 300 words
हम प्रकृति के द्वारा जीवन विकास के कई गुण सीखना चाहते है. इसलिए प्रकृति के कण कण में परोपकार का महत्व समझाया गया है. प्रकृति के सभी घटक का उनके द्वारा किया गया कर्म सदैव दूसरों के लिए होता है.जैसे कि वृक्ष के ऊपर फल तो होते है लेकिन वो हमेशा दूसरों के लिए ही है. नदियां मनुष्य, पशु पक्षी, और पेड़ पौधों को जीवन देने के लिए निरंतर बहती रहती है.सूर्य हमारे जीवन का एकमात्र स्त्रोत है. लेकिन वो हमेशा दूसरों को ऊर्जा देने के लिए खुद जलता है रात में चन्द्रमा शीतलता प्रदान करने के लिए ही उदित होता है.सोचो अगर इन सब घटक में से कोई भी एक स्वार्थी बन जाये तो हमारे जीवन का क्या अस्तित्व रहेगा? फिर भी ये बिना स्वार्थ भाव से सदा अपना कार्य करते रहते है.
हमारी भारतीय संस्कृति और प्रत्येक धर्म हमें यह सिखाते है की हम सीमित साधनों में जीवन व्यतीत करके हम दूसरे लोगों की भी मदद करें और उनके काम आ सके. अगर हर आदमी अपनी ही स्वार्थ सिद्धि में लगा रहेगा तो भारतीय समाज की जो परिकल्पना है कहीं ना कहीं वह खंडित हो जाएगी. मानव समाज का कार्य ही परोपकारी होना चाहिए. तभी एक सफल समाज की कल्पना संभव हो सकेगी समाज में कोई गरीब और कोई अमीर नहीं रहेगा. और सभी में बराबरी का भाव रहेगा और सभी निश्चित होकर अपने त्योहार को मनाएंगे और कोई भूखा भी नहीं सोएगा क्योंकि एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की परवाह तभी होगी जब वह परोपकारी का भाव रखता हो. जो व्यक्ति परोपकारी होता है वह सर्वश्रेष्ठ होता है. वही मनुष्य की गिनती में आता है. तो हमेशा लोगों को ऐसे काम करने चाहिए कि वह दूसरे लोगों को खुशी दे सके और उनका भला हो सके.
Paropkar par Nibandh 500 words
प्रस्तावना
मानव जीवन विकास के सभी गुणों में से सबसे सर्वश्रेष्ठ गुण परोपकार है यह गुण मानवता को महकाता है.परोपकार ही मानव का सबसे बड़ा धर्म है. क्योंकि उनकी महिमा अपरंपार है. इस गुण की वजह से मानव दूसरे मानव के करीब आता है. अर्थात भगवान ने मनुष्य को विकसित दिमाग के साथ-साथ संवेदनशील ह्रदय दिया है.जो दूसरों के दुख दर्द को समझ सके. किसी भी पीड़ित व्यक्ति को संकट से उबारने जैसा कोई नेक काम और महान कार्य इस पृथ्वी पर नहीं है. परोपकार को मानव समाज में अधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि इसके द्वारा ही मनुष्य की सही पहचान होती है.
परोपकार से क्या तात्पर्य है?
हम सभी को परोपकारी होना चाहिए क्योंकि आजकल के समाज में इसकी बहुत जरूरत है. जब हम परोपकारी होंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ी भी परोपकारी होगी क्योंकि वह हमसे ही देखकर इसे सीखेंगे और यही संस्कार वह भी अपने आने वाली पीढ़ी को देंगे.यह क्रम निरंतर इसी तरह से चलता ही रहेगा रुकेगा नहीं संस्कृति की तरह हस्तांतरित होता रहेगा. और अपनी भारतीय संस्कृति की बात करें तो हमें बचपन से ही सिखाया जाता है. कि हमे दूसरों की भलाई के बारे में कैसे सोचना है. यदि हम किसी को तकलीफ में देखें तो हमें क्या करना चाहिए. और किस से दूसरे व्यक्ति की मदद करनी चाहिए.
परोपकार का जीवन में महत्व
जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है. समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता. ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रही है. परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है. परोपकार एक उत्तम आदर्श का प्रतीक है. अर्थात जो व्यक्ति परोपकारी होता है. उसका जीवन आदर्श माना जाता है.उसका मन हमेशा शांत रहता है. उसे समाज में हमेशा यश और सम्मान मिलता है.
परोपकारी से हमें क्या प्राप्त होता है?
किसी पर परोपकार करना ऐसा कार्य है जिससे शत्रु भी मित्र बन जाता है यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए तो वह भी सच्चा से सच्चा मित्र मित्र बन जाता है गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि शुभ कर्म करने वाला का न यहां और नहीं परलोक में विनाश होता है. और शुभ कर्म करने वाले के मन में हमेशा शांति होती है. और उनका भविष्य उज्जवल होता है उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है उनके हमेशा भगवान साथ होते हैं.
उपसंहार
इस निबंध से यह निष्कर्ष निकलता है कि मानव जितना अधिक परोपकार का आदर्श लेकर अपने कर्म का चिन्तन करेगा और उसे कार्य रूप में परिणत करेगा, वह श्रेष्ठ मनुष्य माना जाएगा.परोपकार करके मानव के हृदय को आनन्द मिलता है और मन को बहुत ज्यादा शांति मिलती है अर्थात मनुष्य जीवन ईश्वर का आशीर्वाद है.इसलिए हमें अपनी शक्ति और सामर्थ्य का उपयोग लोगों की सेवा और उनके दुःख दर्द को मिटाने के लिए करना चाहिए. हमें हमारे मित्रों, परिचितों और अपरिचितों के लिए हमेशा परोपकारी की भावना दिखानी चाहिए. और समृद्ध भविष्य के लिए अपने बच्चों को बचपन से ही परोपकार के पाठ सिखाने चाहिए. जीवन की सार्थकता उसी में है की हम अपना जीवन लोगों की भलाई के लिए अर्पण करें. परोपकार हमें महापुरुषों की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है.
essay on paropkar in hindi
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