Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध

क्या आप भी “Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi” की तलाश कर रहे हैं? यदि हां, तो आप इंटरनेट की दुनिया की सबसे बेस्ट वेबसाइट essayduniya.com पर टपके हो. यदि आप Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi, Essay on Dr Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi यही सब सर्च कर रहे हैं तो आपका इंतजार यही पूरा होता है.

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi

यहां हम आपको “Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Essay on Dr Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi 100 Words 

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। उनका का जन्म सन 1888 में 5 सितम्बर के दिन हुआ था। वे एक ब्राह्मण परिवार में जन्में थे। इनके पिताजी का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था। वे राजस्व विभाग में काम करते थे। इनकी माता का नाम सीताम्मा था। इनका विवाह केवल 16 वर्ष की उम्र में सिवाकामू से करवा दिया गया था।

Whatsapp Group Join
Telegram channel Join

राधाकृष्णन जी ने कई प्रख्यात यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसर और वॉइस चांसलर के तौर पर कार्य किया। साल 1952 में उन्हें उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया। इसके बाद सन 1962 में उन्हें भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। इनकी सेवाओं और योगदान के कारण इन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। कई वर्षों तक देश के लिए सेवा करने के बाद 17 अप्रैल 1975 को राधाकृष्णन जी का देहांत हो गया। 

शिक्षक दिवस भाषण हिंदी में

Speech on Dr Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi

Teacher’s Day Essay in English

Teacher’s Day Speech in English

शिक्षक पर 10 लाइन निबंध

10 Lines on Teacher’s Day in English

शिक्षक दिवस पर निबंध

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Essay

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi 150 Words 

5 सितंबर सन 1888 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था। वे भारतीय दार्शनिक संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद् और एक आस्थावान हिंदू विचारक थे। वे एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता जी का नाम श्रीमान सर्वपल्ली रामास्वामी एवं माता जी का नाम श्रीमती सीताम्मा था। राधाकृष्ण जी छः भाई बहन थे। उनके पिताजी की सीमित आय के कारण राधाकृष्णनजी के पिताजी उनके आगे की पढ़ाई जारी रखवाने में असमर्थ थे। लेकिन राधाकृष्णनजी आगे पढ़ना चाहते थे।

इसलिए उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने हेतु छात्रवृत्ति की परीक्षा पास की और अपनी पढ़ाई को जारी रखा। राधाकृष्णन जी ने अपने जीवन में अधिकांश समय शिक्षा क्षेत्र में काम किया और शिक्षक के रूप में कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया। इसके बाद उन्होंने उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा में अपना योगदान दिया। सन 1975, 7 अप्रैल के दिन लंबी बीमारी के कारण चेन्नई में डॉक्टर सर्वपल्ली जी की मृत्यु हो गई थी। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के कार्य एवं उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा। 

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi 200 Words 

भारत के एक प्रसिद्ध और सफल शिक्षक रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी महान व्यक्तित्व के धनी थे। एक शिक्षक होने के साथ-साथ सर्वपल्ली जी उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर साल 1888 में तमिलनाडु के तिरूतनी में हुआ था। अपनी शुरुआती शिक्षा इन्होंने तमिलनाडु के क्रिश्चन मिशनरी संस्थान से प्राप्त की। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद इन्होंने क्रिश्चन मिशनरी कॉलेज से ही बी.ए और एम.ए जैसी डिग्री प्राप्त की।

डॉ राधाकृष्णन जी सन 1952 में स्वतंत्र भारत देश के उपराष्ट्रपति बने इसके बाद सन 1962 में वे स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। राधाकृष्णन जी द्वारा शिक्षा एवं राजनीति के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा सन 1954 में सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से पुरुस्कृत किया गया। डॉ राधाकृष्णन जी जीवन भर शिक्षा एवं राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े कार्यों में अपनी सेवा देते रहे। अंततः सन 1975, 17 अप्रैल के दिन लंबी बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी एक महान शक्सियत थे। देश के लिए उनका योगदान अतुलनीय एवं अविस्मरणीय रहा है। उनका संपूर्ण जीवन एक प्रेरणा है, जिससे भारतवासियों को बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। 

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi 300 Words

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारत के पहले उपराष्ट्रपति एवं दूसरे राष्ट्रपति थे। इनका जन्म 5 सितंबर 1888 के दिन हुआ था। सर्वपल्ली जी एक गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद सर्वपल्ली जी ने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए छात्रवृत्ति परीक्षा को पास किया एवं उसकी सहायता से बी.ए से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। राधाकृष्णन जी शुरू में विज्ञान विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहते थे लेकिन बाद में उन्होंने दर्शनशास्त्र से अपना पोस्ट 

ग्रेजुएशन किया। राधाकृष्णन जी को सन 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्त कर लिया गया। सर्वपल्ली जी एक लेखक और वक्त भी थे। उन्होंने अपने लेख और भाषणों के माध्यम से दुनियां को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित करवाया। वे अपनी हाजिर जवाबी के लिए भी जाने जाते थे। राधाकृष्णन जी आंध्र यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और इसके बाद 3 साल के लिए पूर्वी धर्म और नीति शास्त्र में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पदवी पर कार्यरत रहे। इसके बाद वे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में 1939 से लेकर 1948 तक वाइस चांसलर रहे।

सन 1952 में डॉक्टर सर्वपल्ली जी को स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया इसके बाद सन 1962 में उन्हें स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया। उनके अतुलनीय योगदान एवं कार्यों के लिए उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। राधाकृष्णन जी शिक्षा के महत्व एवम शिक्षकों की भूमिका को भली-भांति जानते थे इसलिए उन्होंने शिक्षक दिवस मनाए जाने की बात को भी सामने रखा था। जिसके चलते आज तक भारत में हर साल 5 सितंबर को उनकी जयंती पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi 500 Words

प्रस्तावना

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक प्रख्यात शिक्षक थे। वह भारतीय संस्कृति के ज्ञानी, शिक्षाविद् एवं दार्शनिक होने के साथ एक कुशल लेखक, वक्ता एवं हिंदू विचारक भी थे। डॉ राधाकृष्णन जी 5 सितंबर 1888 में गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उनके पिताजी श्री सर्वपल्ली रामास्वामी जमींदार के यहां साधारण कर्मचारी थे। उनकी आय से आठ लोगों के परिवार का गुजारा काफी मुश्किल से होता था। राधाकृष्णन जी ने ऐसी परिस्थितियों के बाद भी अपनी पढ़ाई पूरी की। अपनी मेहनत और प्रयास के बल पर वे न केवल आज भारत के प्रख्यात शिक्षक, साहित्यकार बल्कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति एवं राष्ट्रपति के रूप में जाने जाते हैं।  

प्रारंभिक शिक्षा

राधाकृष्ण जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु के क्रिश्चियन मिशनरी संस्थान से पूरी की। अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने छात्रवृत्ति परीक्षा पास की एवं इसके उपरांत अपने बी.ए. और एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद राधाकृष्णनजी को मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में सहायक लेक्चरर के तौर पर नौकरी मिली। इसके बाद इन्हें मैसूर यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त कर लिया गया। इसके बाद राधाकृष्णनजी को कोलकाता विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के द्वारा मानसिक एवं नैतिक विज्ञान के किंग जार्ज वी चेयर से सम्मानित भी किया गया। 

कार्य एवं उपलब्धि

शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखने के बाद राधाकृष्णनकी उपलब्धियां को प्राप्त कैसे करें वे आंध्र यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बने और इसके बाद में तीन वर्ष के लिए पूर्वी धर्म एवं नीति शास्त्र में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर भी कार्यरत रहे। 

  • वे 1939 से लेकर 1948 तक बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के तौर पर कार्य करते रहे 
  • राधाकृष्णन की एक कुशल लेखक भी थे उन्होंने भारतीय परंपरा धर्म एवं दर्शनशास्त्र पर कई लेख और किताबें लिखी हैं।
  • सन 1952 में उन्हें भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया। 
  • इसके बाद सन 1962 में उन्हें राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया।  
  • इन्हें सीवी रमन एवं सी राजगोपालाचारी के साथ भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। 
  • राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस को आज पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

निष्कर्ष

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन महान व्यक्तित्व के धनी इंसान थे। वे जीवन पर्यंत सदैव देश और समाज हित के लिए कार्य करते रहे एवम सेवारत रहे। उन्होंने अपने जीवन में सबसे ज्यादा शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया। सन 1975, 17 अप्रैल को राधाकृष्णनजी का लंबी बीमारी के कारण देहांत हो गया। आज राधाकृष्णन जी की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि वे हमेशा से ही सामाजिक कुरीतियों को हटाने के लिए शिक्षा को कारगर मानते थे। 

Essay on Dr Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi 1000 Words 

प्रस्तावना

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिन को हर साल 5 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इनका जन्म सन 1888 में 5 सितंबर के दिन चेन्नई से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से कस्बे तिरुत्तनी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिताजी सर्वपल्ली रामास्वामी जमींदार के यहां एक साधारण कर्मचारी के तौर पर कार्य करते थे, वउनकी माता श्रीमती सीताम्मा एक गृहिणी थीं। राधाकृष्णन जी के परिवार में कुल 8 सदस्य थे और उनके पिताजी की आय से उनके परिवार का जीवन यापन मुश्किल से होता था। ऐसी कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी सर्वपल्ली जी प्रतिभावान शख्सियत के रूप में उभर कर सबके सामने आए। 

प्रारंभिक जीवन एवम शिक्षा

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की प्रारंभिक शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लूथरन मिशन स्कूल तिरुपति से हुई थी इसके बाद उन्होंने वेल्लूर और मद्रास विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी। सर्वपल्ली जी में बी.ए स्नातक एवं दर्शनशास्त्र से अपना सनोक्ततर किया था। उन्होंने वीर सावरकर और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों के आदर्श पर गहन अध्ययन किया था एवं बाइबल के महत्वपूर्ण अंश को याद कर लिया था जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान भी मिला था। राधाकृष्णनजी का विवाह 16 साल की छोटी आयु में ही उनके दूर के रिश्ते में सिवाकामू से करवा दिया गया था।

व्यक्तित्व

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारतीय संस्कृति दर्शनशास्त्र के साथ बाइबल के मुख्य अंश बुद्धिष्ठ एवं जैन दर्शन की अच्छी जानकारी रखते थे। वे उपनिषद, भागवत गीता, ब्रह्मसूत्र एवं रामानुजन की व्याख्या के बारे में भी अच्छी समझ रखते थे। रामानुजन जी बिना छल-कपट से रहित एवं भेदभाव न करने वाले व्यक्ति थे। वे हिंदू विचारक और ऊंचे सिद्धांतों वाले व्यक्ति थे। उन्हें उनकी कुशाग्र बुद्धि और हाजिर जवाबी के लिए भी जाना जाता था। उन्होंने भारतीय दर्शन के संबंध में कई भाषण और व्याख्यान दिए।

एक बार जब वे इंग्लैंड में भारतीय दर्शन के संबंध में व्याख्यान देने पहुंचे तो वहां उन्हें सुनने बड़ी दादा में लोग आए थे। इस समय एक अंग्रेज व्यक्ति ने डॉक्टर सर्वपल्ली जी से तीखे अंदाज में सवाल पूछते हुए कहा था कि क्या हिंदू नाम का कोई समाज है? कोई संस्कृति है? तुम सब लोग कितने बिखरे हुए हो, तुम्हारा रंग भी एक जैसा नहीं है, कोई गोरा है, तो कोई काला, कोई धोती पहनता है, तो कोई लूंगी, कोई कुर्ता पहनता है, तो कोई कमीज। देखो हम सब अंग्रेज एक जैसे हैं, और एक ही रंग के हैं और एक ही जैसा पहनावा भी पहनते हैं। उस अंग्रेज की बात सुनकर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने बड़ी सरलता से उसके जवाब में कहा था कि सभी घोड़े अलग-अलग रंग और रूप के होते हैं लेकिन गधे सब के सब एक जैसे ही होते हैं। उनके यहां जवाब सुनकर वह उपस्थित सभी लोगों ने चुप्पी साध ली। 

व्यवसाय एवम राजनीतिक सफर

राधाकृष्णन जी ने करीब 40 वर्ष तक शिक्षक के रूप में व्यतीत किए। वे एक प्रख्यात शिक्षक थे। उनकी प्रतिभा एवं विधाता को देखते हुए उन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया। भारत की स्वतंत्रता के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राधाकृष्णन जी से विशिष्ट राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनयिक कार्यों को संपन्न करने का आग्रह किया था। इसके बाद वे 1952 तक एक राजनयिक रहे। इसके उपरांत सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुना गया। उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें काफी सराहा गया। 

उपाधि एवम सम्मान

राधाकृष्णनजी के योगदान के कारण भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया। राधाकृष्ण जी की मृत्यु के बाद उन्हें सन 1975 में अमेरिकी सरकार द्वारा टेंपलटन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले राधाकृष्णन जी पहले गैर-ईसाई संप्रदाय के व्यक्ति थे। अंग्रेजी सरकारी द्वारा राधाकृष्णन जी को सर की उपाधि दी गई थी। अंग्रेजी शब्द को अपने नाम के आगे लगाना उन्हें स्वीकार नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने नाम के आगे अपनी एकेडमिक उपाधि डॉक्टर को लगाना चुना। 

उपसंहार

डॉक्टर राधाकृष्णन जी बेहद कुशल कुशाग्र बुद्धि मानवतावादी एवं सिद्धांतों वाले व्यक्ति थे। उन्हें ब्रह्म सूत्र, भागवत गीता शंकर, माधव, उपनिषद, बुद्धिष्ठ, जैन दर्शन एवं रामानुजन की व्याख्या की अच्छी जानकारी थी। एक तरह से राधाकृष्णन जी हर एक क्षेत्र में अच्छी समझ रखते थे। अपने कार्यों के लिए राधाकृष्णन जी न केवल भारत बल्कि विदेश में भी जाने जाते हैं। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे महान विभूतियों के कारण ही आज भारत का नाम देश-दुनियां में जाना जाता है, एवं भारत को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

Essay on Dr Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Dr Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

शिक्षक दिवस भाषण हिंदी में

Speech on Dr Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi

Teacher’s Day Essay in English

Teacher’s Day Speech in English

शिक्षक पर 10 लाइन निबंध

10 Lines on Teacher’s Day in English

शिक्षक दिवस पर निबंध

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Essay

Join WhatsApp Group CLICK HERE
ESSAYDUNIYA HOME CLICK HERE

Leave a Comment